3 घंटे पहलेलेखक: अमित कर्ण
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पिछले साल '83' के बाद से रणवीर सिंह की कुल तीन फिल्में लगातार फ्लॉप हुई हैं। खासकर 'सर्कस' बॉक्स ऑफिस पर बुरी चरह फ्लॉप हुई। ट्रेड रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिल्म रिलीज के पहले वीकेंड में महज 20 करोड़ की कमाई कर सकी है। वहीं 'अवतार 2' ने रिलीज के 10 दिनों में 25 करोड़ से ज्यादा कमाए हैं। रणवीर सिंह की लगातार फ्लॉप फिल्मों के चलते ट्रेड के जानकार दो ग्रुप में बंट गए हैं। एक का कहना है कि रणवीर के स्टार पावर में वो बात नहीं है। वहीं दूसरे ग्रुप का मानना है कि रणवीर सिंह बस बुरे दौर से गुजर रहे हैं। उनका बाउंस बैक मुमकिन है।
दर्शकों को शायद रणवीर की सिंबा वाली छवि चाहिए
ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने इस बारे में बात करते हुए कहा, 'बेशक रणवीर ने गुंडे, पद्मावत, बाजीराव मस्तानी जैसी हिट फिल्में की हैं। इन फिल्मों के फौरन बाद सिंबा और गली बॉय जैसी हिट फिल्में आईं। पर उसके बाद 83 फ्लॉप हो गई, जयेशभाई जोरदार डिजास्टर रही, सर्कस सुपर डिजास्टर हुई। ऐसे में उनकी स्टैंडिंग पर असर पड़ा है। हमारी इंडस्ट्री में एक्टर अपने लास्ट फाइड्रे से जाना जाता है। रणवीर के मामले में तीन शुक्रवार अच्छे नहीं रहे हैं। ऐसा होने की वजह तो ये है कि सर्कस अच्छी तरह से बनी नहीं थी। फिल्म 83 में लोगों को लगा कि वो शायद डॉक्युमेंट्री देख रहे हैं। जयेशभाई जोरदार तो टोटल रिजेक्ट हो गई थी। सर्कस के ट्रेलर ने ही फैंस को निराश कर दिया था। दर्शकों को शायद रणवीर की सिंबा वाली छवि चाहिए।'
लोग स्टार को देखना चाहते हैं कॉमेडियन को नहीं
तरण आगे कहते हैं, 'दूसरी चीज ये कहना चाहूंगा कि रणवीर सिंह जरा ओवर एक्सपोज्ड भी हो गए हैं। उनके फोटोशूट से लेकर सोशल मीडिया पर उनकी स्टोरीज हो या FIFA में उनका जाना हो। यहां उन्हें अपने फैंस से जरा मिस्ट्री बनाकर रखना चाहिए। अब जैसे रणबीर कपूर को देखिए वो ब्रह्मास्त्र के बाद नजर ही नहीं आ रहे हैं। रणवीर सिंह के फैशन सेंस से भी प्रॉब्लम खड़ी तो हुई है। लोग स्टार को देखना चाहते हैं, उसमें कॉमेडियन को नहीं।'
एग्जीबिटर विषेक भी हुए तरण की बातों से सहमत
एग्जीबिटर विषेक चौहान भी तरण की बातों से इत्तेफाक रखते हैं। विषेक कहते हैं, 'रणवीर एक उम्दा परफॉरमर हैं। उनके वो काम लोगों को पसंद आए, जहां उनकी परफॉर्मेंस अच्छी थी। भंसाली की फिल्मों को छोड़ दें तो बाकी निर्देशकों के साथ उनका बॉक्स ऑफिस फीका रहा है। भंसाली ऐसे फिल्मकार हैं, जो किसी भी एक्टर के साथ हिट फिल्म दे सकते हैं। उन्होंने तो गंगूबाई काठियावाड़ी जैसी फीमेल ड्रिवेन फिल्म को भी सवा सौ करोड़ क्लब में पहुंचा दिया था।'
सेलेब्स अब फिल्मों की ओपनिंग की गारंटी नहीं रहे हैं
विषेक आगे कहते हैं, 'रणवीर की सिंबा से अगर अजय देवगन एंगल और कॉप यूनिवर्स हटा दें तो वो फिल्म भी स्ट्रगल करती। रणवीर सिंह से बड़े स्टार तो रणबीर कपूर हैं। उनकी फ्लॉप फिल्म शमशेरा ने भी कम से कम 11 करोड़ की ओपनिंग ली थी। यहां क्रिसमस और रोहित शेट्टी के बावजूद सर्कस महज साढ़े छह करोड़ की ओपनिंग ले पई है। हालांकि कोविड के बाद से ये जरूर हुआ है कि स्टार्स अब ओपनिंग की गारंटी नहीं रहे हैं। अब लोगों को फ्रेंचाइजी चाहिए, जैसे के तौर पर भूल भुलैया 2, दृश्यम 2, अवतार 2। हालांकि ब्रह्मास्त्र पहले से प्रोपोज्ड ट्रिलजी है।
ऑडियंस को रणवीर की ऑफ स्क्रीन इमेज से है परेशानी
रणवीर के मामले में उनकी ऑफ स्क्रीन इमेज भी प्रॉब्लम क्रिएट कर रही है। फैंस को अपने स्टार्स से एसपिरेशनल वैल्यू चाहिए। उनका स्टार ऐसा हो, जिनकी हेयर स्टाइल से लेकर ड्रेसिंग सेंस तक कॉपी हो सके। वो चीज रणवीर के मामले में कम हो रही है। साथ ही वो अलग जॉनर की फिल्में बड़े कम अंतर पर कर रहे हैं। इनके चलते दर्शक उन्हें कहां स्लॉट कर रहे, उस पर अनिश्चितता बनी हुई है। '
कोविड के बाद से ही स्टारडम की परिभाषा बदल गई है
बहरहाल इंडस्ट्री से ही प्रोड्युसर व बिजनेस एक्सपर्ट गिरीश जौहर और डिस्ट्रीब्युटर अक्षय राठी अगल तर्क देते हैं। गिरीश जौहर कहते हैं, 'यह कहना जायज नहीं है कि वो सिर्फ एक्टर हैं और स्टार नहीं। दरअसल कोविड के बाद से ही स्टारडम की परिभाषा बदल गई है। अभी तो अक्षय कुमार और अजय देवगन जैसे सेलेब्स को भी ओपनिंग नहीं मिल रही है। स्टार बनने का पहला पड़ाव तो बेहतर एक्टर होना है, तो रणवीर स्टार हैं हीं। पर अब दर्शकों को सिनेमाघरों में जाने की ठोस वजह चाहिए। ये तो अमिताभ बच्चन से लेकर शाहरुख और सलमान तक के सफर में हुआ है, जब उन्हें भी लो फेज से गुजरना पड़ा। रहा सवाल उनकी ड्रेसिंग सेंस से फिल्में न चलने का तो कोई ऐसा उदाहरण दे, जहां फिल्म अच्छी हो, मगर फिल्म न चली हो।'
उतार चढ़ाव हर एक्टर के करियर में आता है
गिरीश जौहर की बातों से डिस्ट्रीब्युटर और ट्रेड एक्सपर्ट अक्षय राठी भी इत्तेफाक रखते हैं। वो बताते हैं, 'उतार चढ़ाव हर एक्टर के करियर में आता है। चेन्नई एक्सप्रेस के ठीक बाद जब शाहरुख की हैरी मेट सेजल और जीरो आई तो वो नहीं चली। पर अब जब अगले साल उनकी पठान, जवान और डंकी आने को है तो देखिए फैंस उनका कितनी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। ठीक ऐसे ही जब अजय देवगन की तान्हाजी हिट थी, लेकिन उनकी फिल्म रनवे 34 और थैंक गॉड नहीं चली, पर दृश्यम 2 चली। स्टार एक हद तक ही ओपनिंग दिला सकता है। उसके बाद फिल्म का अच्छा होना बहुत जरूरी है। बेशक रणवीर के करियर में भंसाली के साथ कई अच्छी फिल्में रही हैं, पर रणवीर का आगाज ही बैंड बाजा बारात से हुआ था और वो हिट रही थी।
अक्षय राठी इस बात से भी इत्तेफाक नहीं रखते हैं कि रणवीर की ड्रेसिंग सेंस से उनके फैंस को परेशानी है। अक्षय कहते हैं, 'माइकल जैक्सन कमाल के परफॉरमर रहे थे। हालांकि असल जीवन में उनकी ड्रेसिंग सेंस पर भी लोगों में दो राय थीं, पर दुनियाभर की तो छोड़िए उनकी इंडिया में भी बड़ी फैन फॉलोइंग थी। तो बतौर आर्टिस्ट आप लोगों के दिलों को अपनी कला से कितना छू पाते हो, वो सबसे ज्यादा मायने रखता है न कि कपड़े। रणवीर ऐसे एक्टर हैं, जो अपने चाहने वालों का एंटरटेंमेंट करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
कंटेंट और स्टार पावर के सही तालमेल से फिल्में हिट होती हैं
अक्षय एक और उदाहरण देते हुए कहते हैं, 'सलमान की वॉन्टेड से पहले लगभग 11 से 12 फिल्में फ्लॉप रही थीं। शाहिद कपूर की विवाह, जब वी मेट के दौरान और आगे आई फिल्में फ्लॉप रही थीं, पर उन्होंने कबीर सिंह से कमबैक किया। यानी कई बार मामला सिर्फ कंटेंट या स्टार पावर का नहीं होता है। बात होती है कंटेंट और स्टार पावर की भागीदारी की। दोनों के सही तालमेल से बात बनती है।'
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