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Friday, June 3, 2022

अनसुनी दास्तानें: खुद को सबसे बदसूरत लड़की मानती थीं नूतन, जो मां फिल्मों में लाई उससे 20 साल तक बंद रही बात - Dainik Bhaskar

43 मिनट पहलेलेखक: ईफत कुरैशी

अपनी सादगी से हिंदी सिनेमा में अलग पहचान रखने वाली नूतन की आज 86वीं बर्थ एनिवर्सरी है। सुजाता, छलिया, बंदिनी जैसी बेहतरीन फिल्में देने वाली नूतन को एक जमाने में उनके चेहरे, शरीर और कद के चलते खूब ताने सुनने पड़ते थे। लोगों और रिश्तेदारों के तानों के चलते नूतन खुद को बदसूरत समझने लगी थीं, लेकिन यही नूतन जब फिल्मों में आईं तो उन्होंने बड़ी-बड़ी अभिनेत्रियों को पीछे कर दिया।

राजेंद्र कुमार, शम्मी कपूर और संजीव कुमार जैसे कई बड़े अभिनेता भी इनकी खूबसूरती के कायल थे। ये उस दौर की पहली एक्ट्रेस थीं जिन्हें 40 साल की उम्र में भी लीड एक्ट्रेस का रोल मिलता था।

महज 8 साल की उम्र में नूतन ने मां के नक्शेकदम पर चलकर अभिनय करियर की शुरुआत की थी। 45 साल के एक्टिंग करियर में नूतन ने कई बेहतरीन फिल्में दीं और 9 बार बेस्ट एक्ट्रेस का खिताब जीता।

आज अनसुनी दास्तान में पढ़िए कहानी खुद को बदसूरत समझने वालीं नूतन के स्टार बनने की-

मां खुद नहीं चाहती थीं कि एक्ट्रेस बनें नूतन
4 जून 1936 में बॉम्बे (अब मुंबई) में जन्मीं नूतन के पिता कुमारसेन समर्थ एक फिल्ममेकर हुआ करते थे और मां शोभना समर्थ एक जमाने की जानी-मानी अभिनेत्री थीं। बचपन से ही नूतन का वजन काफी कम हुआ करता था, रंग सांवला था और कद ऊंचा।

उस दौर में फिल्मों में गठीले बदन की महिलाओं को लिया जाता था, जिससे दुबले पतले और सांवले लोगों को कुरूप समझा जाने लगा। घरवाले भी नूतन को उनके लुक के चलते खूब ताने दिया करते थे, जिससे वो काफी प्रभावित हुईं।

बचपन से ही नूतन खुद को दुनिया की सबसे बदसूरत लड़की समझने लगीं और लोगों से झिझकने लगी थीं। नूतन के लुक को देखकर खुद मां शोभना को लगता था कि उन्हें फिल्मों में हाथ नहीं आजमाना चाहिए।

14 साल की उम्र में ठुकरा दी थी मुगल-ए-आजम
नूतन ने साल 1945 की फिल्म नल दमयंती से बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट एक्टिंग करियर शुरू किया था। महज 14 साल की उम्र में नूतन को के आसिफ की फिल्म मुगल-ए-आजम का ऑफर मिला। खुद को बदसूरत समझने वाली नूतन को फिल्म में अनारकली का रोल ऑफर हुआ था, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया।

मां ने फिल्मों में दी जगह
मुगल-ए-आजम ठुकराने के बाद मां शोभना ने नूतन को लॉन्च करने की जिम्मेदारी ली। 14 साल की नूतन को लेकर शोभना ने हमारी बेटी बनाई। फिल्म में नूतन की छोटी बहन का रोल उनकी असल बहन तनूजा को मिला था। 5 साल की तनूजा सिर्फ एक नींबू पानी के लिए फिल्म में काम करने के लिए राजी हो गई थीं।

खुद की फिल्म देखने नहीं जा सकीं नूतन
1951 में नूतन फिल्म नगीना में नजर आईं। जब ये फिल्म रिलीज हुई तो नूतन महज 15 साल की थीं। नियमों के अनुसार ए-सर्टिफिकेट की फिल्मों को 18 साल से बड़े लोग ही देख सकते थे, लेकिन नूतन सिर्फ 15 साल की थीं। फिर क्या था अंडरएज होने के कारण नूतन खुद अपनी फिल्म के प्रीमियर में नहीं जा सकीं। हम लोग फिल्म से फिर एक बार नूतन ने देश भर में अपने अभिनय से लोगों का दिल जीता।

एक फिल्म से नूतन ने बदल दी लोगों की सोच
पहली फिल्म से नूतन को देशभर में पहचान मिल चुकी थी। जो रिश्तेदार ताने दिया करते थे वही अब फोन करके तारीफ कर रहे थे। नूतन ने खुद कहा- जो रिश्तेदार मुझे बदसूरत करते थे, उनकी सोच रातों-रात बदल गई थी। वो कहने लगे थे कि उन्हें मुझ पर गर्व है।

इतना वजन घटा लिया कि मां ने विदेश भेज दिया
फिल्मों में काम करने के लिए नूतन इतनी कड़ी मेहनत करने लगीं कि उनका वजन तेजी से घटने लगा। ये देखकर उनकी मां शोभना चिंतिंत हो गईं। उन्होंने नूतन पर दबाव बनाकर उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए स्विट्जरलैंड भेज दिया और खुद मसूरी में रहने लगीं।

विदेश में रहते हुए नूतन ने एक साल में ही 22 किलो वजन बढ़ा लिया। इसे नूतन अपनी जिंदगी का सबसे यादगार साल बताती हैं। नूतन एक साल बाद पढ़ाई पूरी कर मसूरी आ गईं, जहां से उन्होंने 1952 में मिस इंडिया में हिस्सा लिया। नूतन ने इसमें मिस मसूरी का खिताब जीता था।

स्विमसूट पहनने वाली पहली एक्ट्रेस
पढ़ाई के बाद भारत वापस आकर नूतन ने 1955 की फिल्म सीमा में काम किया। बेहतरीन कमबैक से उन्हें पहला बेस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। दिल्ली का ठग फिल्म में नूतन स्विम सूट पहनने वाली पहली अभिनेत्री बनीं। उनकी कामयाबी का सिलसिला ऐसा चला कि उन्होंने पेइंग गेस्ट, अनाड़ी, सुजाता, छलिया, देवी, सरस्वतीचंद और मैं तुलसी तेरे आंगन की में नजर आईं।

नूतन से शादी करना चाहते थे राजेंद्र कुमार, मां ने किया था इनकार
राजेंद्र कुमार नूतन के प्यार में पागल थे। नूतन से शादी करने के लिए राजेंद्र ने उनकी मां से हाथ भी मांगा था, लेकिन उन्होंने बेइज्जती कर इनकार कर दिया। शम्मी कपूर भी नूतन को पसंद करते थे, लेकिन दोनों की शादी नहीं हो सकी।

शादी के बाद मां को अदालत तक खींच लाईं नूतन
1959 में नूतन ने इंडियन नेवी के लेफ्टिनेंट कमांडर रजनीश बहल से शादी की जिससे दो साल बाद उन्हें बेटा मोहनीश हुआ। नूतन को फिल्मों में लाने वाली मां शोभना को बेटी के चलते अदालत के चक्कर काटने पडे़। दरअसल नूतन ने मां पर उनके पैसों का गलत तरीके से इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था।

दोनों का झगड़ा ऐसा बढ़ा कि उन्होंने 20 सालों तक बातचीत नहीं हुई। गुस्सा इतना था कि नूतन एक बार अपनी मां को देखकर फ्लाइट से उतर गई थीं। शोभना ने एक इंटरव्यू में कहा कि नूतन ने अपने पति के बहकावे में आकर ये सब किया है।

पति के कहने पर फैसले लिया करती थीं नूतन
1970 में देवी फिल्म के सेट पर नूतन ने को-स्टार संजीव कुमार को थप्पड़ मार दिया था। ये थप्पड़ नूतन ने अफेयर की खबरें सामने आने पर मारा था, लेकिन लोगों का मानना था कि ऐसा उन्होंने पति के कहने पर किया। रजनीश, नूतन के दोस्तों के साथ भी बुरा बर्ताव किया करते थे, लेकिन नूतन को इससे कोई आपत्ति नहीं थी। उनके बेटे ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनके पिता को गलत तरीके से पेश किया गया था।

प्रेग्नेंसी में शूट की बंदिनी फिल्म
शादी के अगले ही साल नूतन को बिमल रॉय की फिल्म बंदिनी का ऑफर मिला, लेकिन प्रेग्नेंट होने के कारण उन्होंने ये फिल्म ठुकरा दी। पति रजनीश ने नूतन को खूब समझाया कि उन्हें ये फिल्म करनी चाहिए तो वो राजी हो गईं। ये नूतन के करियर की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक है।

शादी के बाद भी नूतन फिल्मों में एक्टिव करती रहीं। वो अपने करियर में कामयाबी का श्रेय पति को दिया करती थीं। ये अपने जमाने की इकलौती एक्ट्रेस थीं जो 40 की उम्र में भी लीड रोल में नजर आईं। 42 साल की उम्र में फिल्म ''मैं तुलसी तेरे आंगन की'' के लिए बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड जीतकर नूतन ने सबसे ज्यादा उम्र में ये अवॉर्ड जीतने का रिकॉर्ड बनाया।

उम्र बढ़ी तो सपोर्टिंग रोल निभाकर जीता दर्शकों का दिल
1976 की फिल्म ''मैं तुलसी तेरे आंगन की'' के बाद नूतन सपोर्टिंग रोल निभाने लगीं। उन्होंने मेरी जंग, नाम, कर्मा जैसी फिल्में कीं। 1989 की फिल्म ''कानून अपना-अपना'' में नूतन आखिरी बार नजर आईं। इनकी दो फिल्में ''नसीबवाला'' और ''कालीगंज'' की बहू निधन के बाद रिलीज हुई थीं।

ब्रेस्ट कैंसर डिटेक्ट होने के अगले साल हुई मौत
1990 में नूतन को अ्पनी बीमारी ब्रेस्ट कैंसर का पता लगा। कैंसर का पता लगने के बाद भी नूतन फिल्मों की शूटिंग करती रहीं। कुछ महीनों बाद फरवरी 1991 में तबीयत बिगड़ने पर नूतन को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां उनकी 21 फरवरी को उनकी मौत हो गई।

दर्द से कहराते हुए ली आखिरी सांसे
नूतन की मां ने 1992 के एक इंटरव्यू में बताया कि 21 फरवरी को वो अस्पताल में नूतन के कमरे के बाहर बैठी थीं। उन्होंने कमरे से नूतन के चिल्लाने की आवाज सुनी। नूतन जोर-जोर से दर्द से कहरा रही थीं, लेकिन जब तक शोभना कमरे में पहुंची तो देर हो चुकी थी।

इलाज के दौरान नूतन गरजना और इंसानियत फिल्मों में काम कर रही थीं। जहां एक तरफ गरजना कभी रिलीज ही नहीं हो सकी, वहीं दूसरी तरफ नूतन और विनोद मेहरा के निधन के बाद इंसानियत फिल्म को कास्ट बदलकर साल 1994 में रिलीज किया गया था। नूतन के पति रजनीश बहल का निधन साल 2004 में उनके अपार्टमेंट में आग लगने से हो गया था।

मां ने कहा मेरी मीराबाई चली गई
नूतन और शोभना के बीच 20 सालों तक चला कोर्ट केस 1983 तक खत्म हो चुका था। केस खत्म तो हुआ और दोनों के बातचीत शुरू हो गई, लेकिन रिश्ते पहले जैसे नहीं हुए।

नूतन की मौत के बाद शोभना ने कहा- मुझे नूतन के जाने का एहसास तक नहीं हुआ। मैं अंतिम संस्कार से वापस आई और कहा लाओ खाना दो, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। नूतन बहुत प्यारी थी, लेकिन उसने जीने की इच्छा खो दी थी। वो समझ चुकी थी कि अब ज्यादा दिन नहीं हैं।

उसने अपनी बीमारी को बढ़ने दिया। ख्याल रखती तो और जी सकती थी। वो कहती थी, मैं जागना चाहती हूं, अभी सो रही हूं। मेरी मीराबाई चली गई। 2000 में उनकी मां शोभना का भी कैंसर से निधन हो गया।

नूतन के बेटे को नेगेटिव रोल में नहीं लेना चाहते थे सूरज बड़जात्या
नूतन के बेटे मोहनीश बहल ने 1983 की फिल्म बेकरार से फिल्मों में कदम रखा था। जब उन्होंने सूरज बड़जात्या की फिल्म मैंने प्यार किया का ऑडिशन दिया तो डायरेक्टर ने ये कहते हुए उन्हें लेने से इनकार कर दिया कि वो नूतन के बेटे हैं। दरअसल मोहनीश ने फिल्म में नेगेटिव रोल निभाने के लिए ऑडिशन दिया था, लेकिन सूरज ने उनसे कहा था कि तुम नूतन के बेटे हो इसलिए विलेन न बनकर हीरो बनो।

मोहनीश नहीं मानें तो सूरज ने उनसे वादा किया कि वो उनकी निगेटिव इमेज को पॉजिटिव करेंगे। आखिरकार सूरज ने अपनी अगली फिल्मों हम आपके हैं कौन और हम साथ-साथ हैं में मोहनीश की इमेज पूरी तरह बदल दी।

अगले शनिवार फिर पढ़िए एक और सितारे की अनसुनी दास्तान।

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