5 घंटे पहलेलेखक: अमित कर्ण
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- खुदा गवाह के डायरेक्टर मुकुल एस आनंद के भाई ने बताया -अमिताभ बच्चन के फैन थे मुजाहिदीन
- शूटिंग के 14 दिन काबुल में कहीं कोई धमाका नहीं किया, बच्चन की सुरक्षा में 24 घंटे रशियन टैंक और चॉपर रहते थे
तालिबान के चलते अफगानिस्तान में आज की तारीख में शूटिंग करना तो दूर सिनेमाघरों में फिल्में देखना भी जोखिम भरा है। आज से 29-30 साल पहले ऐसा नहीं था। तब तालिबान का मौजूदा स्वरूप तो नहीं, मगर मुजाहिदीन संगठन मौजूद था। मगर उन्होंने उस वक्त खुदा गवाह की शूटिंग को प्रभावित नहीं होने दिया था।
फिल्म के डायरेक्टर मुकुल आनंद के भाई राहुल आनंद ने इसकी पुष्टि की है। राहुल आनंद ने कहा, 'प्रेसिडेंट में नजीबुल्लाह के कार्यकाल में भी मुजाहिदीन का खौफ पूरे अफगानिस्तान में था, पर जब उन्हें पता चला कि अफगानिस्तान में खास अमिताभ बच्चन और डैनी शूटिंग करने के लिए आ रहे हैं तो उन्होंने कोई आतंकी घटनाएं नहीं की।
अमिताभ थे मुजाहिदीन के बच्चन जान
मुजाहिदीन दरअसल अमिताभ बच्चन के फैन थे प्यार से वह उन्हें बच्चन जान पुकारा करते थे। उन्होंने सरकार से समझौता कर लिया था कि जब तक अमिताभ बच्चन, डैनी खुदा गवाह की शूटिंग करते रहेंगे, तब तक वह कोई हमला या विस्फोट नहीं करेंगे। उन्होंने इसका पालन किया। दरअसल अफगानिस्तान के मजार-ए-शरीफ पर हमने बुज़कशी का सीक्वेंस फिल्माया था। वह सिक्वेंस छह दिन चला था। बाकी 8 दिन कुछ और सिक्वेंस सूट हुए थे।
प्रेसिडेंट के पैलेस में टहरे थे बिग बी
प्रेसिडेंट नजीबुल्लाह ने अमिताभ बच्चन और डैनी को अपने पैलेस में ठहराया था। भारी-भरकम सिक्योरिटी उनकी सुरक्षा में लगाई थी। बाकी कास्ट एंड क्रू को होटल इंटरकॉन्टिनेंटल में ठहराया गया था। स्पॉटबॉय तक को सिक्योरिटी प्रदान की गई थी। वह होटल तो बंद ही पड़ा हुआ था। प्रेसिडेंट नजीबुल्लाह ने खासतौर पर खुदा गवाह के लिए वह होटल खुलवाया। 2 फ्लोर पर क्रू मेंबर रहते थे। निचले ग्राउंड फ्लोर पर सिक्योरिटी रहती थी।
टीनू वर्मा के असिस्टेंट महेश को श्रीदेवी बनाया था
मजार ए शरीफ के अलावा हमने काबुल में अली खान के किरदार का हैंगिंग सीन फिल्माया। बाकायदा सुरेश सावंत आर्ट डायरेक्टर ने वो सेट काबुल के मार्केट में बनाया था।अफगानिस्तान में ज्यादातर एक्शन वाले सीक्वेंस थे। ऐसे में वहां श्रीदेवी को नहीं ले गए थे हम। अमिताभ और डैनी वहां गए थे। वहां हमने टीनू वर्मा की टीम के असिस्टेंट महेश को लेडीज सूट पहना कर श्रीदेवी की तरह चीट किया था। महेश काफी दुबला पतला था भी। ऐसे में दिक्कत नहीं हुई। बाद में उदयपुर में हमने श्रीदेवी का क्लोज शॉट लेकर सीन फिल्माया था।
बच्चन अपने साथ अपनी फिल्मों के कैसेट भी ले गए थे
अच्छी बात यह रही थी कि बच्चन साहब और डैनी भी काफी दिलेर थे। उन्होंने एक बार भी नहीं कहा कि वहां आतंकी हमलों का खतरा है तो शूट पर नहीं जाना चाहिए। मेरे बड़े भाई मुकुल आनंद ने उनसे जब कहा कि कहानी में अफगानिस्तान का बैकड्राप है तो उन्होंने कहा चलते हैं। बच्चन अपने साथ अपनी फिल्मों के कैसेट भी ले गए थे। हम लोग अफगानिस्तान में लोगों को एक तो लाइव शूटिंग दिखाते थे। फिर शाम को उन कैसेट से अमिताभ बच्चन की फिल्में दिखाया करते थे। उस जमाने में बाकी इलाकों में अच्छी तादाद में सिनेमाघर थे। आज वाली हालत नहीं थी।
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