हैदर का रूहदार किसी से भुलाए नहीं भूलता है. वो रहस्य्मयी-सा दिखने वाला शख्स, जो ना जाने कितना कुछ देख चुका है, अपने अंदर समाए है. इरफान खान का कालकोठरी वाला सीन एक अलग पैमाने पर दर्शकों से बात करता है. आज उस सीन को देखें तो आंसू आ जाते हैं, जब एक लुटा-पिटा, घायल, जंजीर से बंधा रुहदार जब कहता है- दरिया भी मैं, दरख्त भी मैं, झेलम भी मैं, चिनार भी मैं, दैर भी हूं, हरम भी हूं, शिया भी हूं, सुन्नी भी हूं, मैं हूं पंडित, मैं था, मैं हूं और मैं ही रहूंगा.''
Remembering Irrfan Khan इरफान खान: 'दरिया भी मैं, दरख्त भी मैं, मैं था, मैं हूं, मैं रहूंगा' - आज तक
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