नई दिल्ली, जेएनएन। 67 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाले ऋषि कपूर बेहतरीन एक्टिंग के साथ-साथ अपनी बेबाक़ी के लिए भी जाने जाते थे। इस का मुज़ाहिरा उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफ़ी ‘खुल्लम खुल्ला’ में भी किया। ऋषि कपूर ने इस किताब में अपने पिता राज कपूर के अफ़ेयर से लेकर अपने लिए अवॉर्ड ख़रीदने तक के बारे में लिखा है। उन्होंने बिग बी अमिताभ बच्चन के साथ अपने रिश्तों पर भी खुलकर बात की।
'मैं हमेशा काम को लेकर काफी जूनूनी रहा'
ऋषि ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में लिखा है, ‘अमिताभ बच्चन एक महान एक्टर हैं। 1970 की शुरुआत में उन्होंने फिल्मों का ट्रेंड ही बदल दिया। एक्शन की शुरुआत ही उन्हीं से होती है। उस वक्त उन्होंने कई एक्टर्स को बेकार कर दिया। फिल्मों में मेरी एंट्री 21 साल की उम्र में हुई। उस वक्त मैं फिल्मों में कॉलेज जाने वाला एक लड़का हीरो हुआ करता था। मेरी कामयाबी का सीक्रेट बस यही है कि मैं हमेशा काम को लेकर काफी जूनूनी रहा। मेरे ख्याल से पैशन ही आपको सफलता दिलाता है।
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'मेरे और अमिताभ के बीच रहता था तनाव'
अमिताभ बच्चन के बारे में ऋषि कपूर लिखते हैं कि ‘उन दिनों अमिताभ और मेरे बीच एक अनकहा तनाव रहा करता था। हमने कभी उसे सुलझाने की कोशिश नहीं की और वह खत्म भी हो गया। इसके बाद हमने साथ में 'अमर अकबर एंथनी' की और इस फिल्म के बाद तो गहरी दोस्ती हो गई।’
'मैं उन्हें अमितजी की जगह अमिताभ ही बुलाता था'
आगे वो लिखते हैं ‘जीतेंद्र से तो मेरे रिलेशन अच्छे थे, लेकिन अमिताभ और मेरे संबंधों में तल्खी थी। मैं उनके साथ अनकम्फर्टेबल महसूस करता था। वे मुझसे 10 साल बड़े थे, लेकिन मैं उन्हें अमितजी की जगह अमिताभ ही बुलाता था। शायद मैं बेवकूफ था। 'कभी-कभी' की शूटिंग के वक्त तो न मैं उनसे बात करता था और न ही वे। हालांकि, बाद में सब ठीक हो गया और हमारे रिश्ते बेहद अच्छे हो गए। अब तो उनसे फैमिली रिलेशनशिप है। उनकी बेटी श्वेता की शादी मेरी बहन रितु नंदा के बेटे निखिल से हुई है।’
अवॉर्ड खरीदने पर खफा थे अमिताभ
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ऋषि ने अपनी किताब 'खुल्लम खुल्ला' में अमिताभ के साथ इस तल्खी का करण बताते हुए लिखा है, ‘ऐसा लगता है कि 'बॉबी' के लिए मुझे बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिलने से अमिताभ निराश हो गए थे। उन्हें लगा था कि ये अवॉर्ड 'जंजीर' के लिए उन्हें जरूर मिलेगा। दोनों ही फिल्में एक ही साल (1973) में रिलीज हुई थीं। मुझे ये कहते हुए शर्म आती है कि मैंने वह अवॉर्ड खरीदा था। दरअसल उस वक्त में भोला-भाला सा था। तारकनाथ गांधी नाम के एक पीआरओ ने मुझसे कहा, सर 30 हजार दे दो, तो मैं आपको अवॉर्ड दिलवा दूंगा। मैंने बिना कुछ सोचे उन्हें पैसे दे दिए। मेरे सेक्रेटरी घनश्याम ने भी कहा था, सर, पैसे दे देते हैं। मिल जाएगा अवॉर्ड। इसमें क्या है। अमिताभ को बाद में किसी से पता चला कि मैंने अवॉर्ड के लिए पैसे दिए थे।
हालांकि ऋषि कपूर ने इसपर सफाई भी दी। वो लिखते हैं, ‘मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि 1974 में मैं महज 22 साल का था। पैसा कहां खर्च करना है, कहां नहीं, इसकी बहुत समझ नहीं थी। बाद में मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ।
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