Rechercher dans ce blog

Saturday, August 6, 2022

अश्लील टाइटल भी सेंसर से पास करा लेते थे दादा: बेटी को कभी अपना नाम नहीं दिया, एक ही एक्ट्रेस के साथ 13 फिल... - Dainik Bhaskar

2 घंटे पहलेलेखक: ईफत कुरैशी

आज की अनसुनी दास्तानें में कहानी उस शख्स की जिसने भारतीय सिनेमा को एक नया जॉनर दिया। ये जॉनर था सेक्स कॉमेडी का और वो शख्स हैं दादा कोंडके। मराठी फिल्मों का वो एक्टर जिसने पहली बार फिल्मों में सेक्स कॉमेडी या डबल मीनिंग डायलॉग्स की शुरुआत की। उनकी फिल्मों के टाइटल इतने डबल मीनिंग होते थे कि सेंसर बोर्ड अधिकारियों के माथे पर पसीना आ जाता था, लेकिन कभी इन फिल्मों की रिलीज पर बैन नहीं लगा पाए क्योंकि वो दादा कोंडके के तर्कों के आगे हार जाते थे।

फिल्में द्विअर्थी होती थीं, लेकिन खूब देखी जाती थीं। दादा कोंडके के नाम लगातार सबसे ज्यादा सिल्वर जुबली फिल्में देने का गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड है। उनकी 9 फिल्में 25 हफ्तों तक थिएटर में चली थीं। इनमें से कुछ 50 हफ्तों तक भी चलीं। उनका फिल्मी सफर जितना दिलचस्प था, निजी जिंदगी उतनी ही दर्द भरी। उन्होंने जिस महिला से शादी की उससे कभी बनी नहीं, एक बेटी हुई जिसे दादा ने कभी अपना नाम नहीं दिया। 8 अगस्त को इन्हीं दादा कोंडके की 90वीं जयंती है।

पढ़िए, मराठी फिल्मों के दिग्गज एक्टर-डायरेक्टर दादा कोंडके की अनसुनी कहानी…

लालबाग की चॉल में था दादा का आतंक

जमाना था आजादी के पहले के भारत का। 1932 की बात है। पुणे के पास बसे छोटे से गांव इंगावली से सालों पहले एक परिवार काम की तलाश में मुंबई पहुंचा था। मुंबई में परिवार ने लालबाग की चॉल में घर बसाया, जिसके ज्यादातर सदस्य बॉम्बे डाइंग की कॉटन मिल में काम कर गुजारा करते थे।

इसी परिवार में गोकुल अष्टमी के दिन 8 अगस्त 1932 को बेटे का जन्म हुआ। भगवान कृष्ण के नाम पर बेटे का नाम कृष्णा रखा गया, वही कृष्णा जिसे देश ने दादा कोंडके नाम देकर खूब सम्मान दिया। कृष्णा बचपन में काफी मोटे हुआ करते थे जो चॉल में मामूली गुंडागर्दी कर फेमस थे। रेडिफ को दिए एक इंटरव्यू में खुद कोंडके ने कहा था, लालबाग इलाके में मेरा आतंक था। कोई हमारे मोहल्ले की लड़कियों को नहीं छेड़ सकता था। बदमाशों पर मेरा गुस्सा बरसता था और मैंने ईंट, पत्थर, सोडा बोतलों से खूब लड़ाइयां की हैं।

घर के सारे सदस्य हादसे में मारे गए, सिर्फ एक भाई बचा

असल साल का तो कहीं उल्लेख मिलता नहीं है लेकिन युवा होते दादा कोंडके के परिवार के लगभग सारे सदस्य एक हादसे में मारे गए। सिर्फ दादा कोंडके और उनके एक बड़े भाई ही परिवार में बचे। इस हादसे से वे बुरी तरह टूट गए। उन्होंने एक साल तक किसी से ज्यादा बात नहीं की, खाना-पीना भी लगभग बंद कर दिया। दादा कोंडके ने एक इंटरव्यू में कहा, 'मुझे लगा मैं पागल हो जाऊंगा। भगवान ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया। मैंने सोच लिया कि दुखों को भूलकर मैं लोगों को हंसाऊंगा। इस तरह मैं कॉमेडी में उतरा।'

किराना दुकान की नौकरी से लोकल बैंड तक सब आजमाया

जब परिवार के सदस्यों को खोने के दर्द से उभरे तो दादा कोंडके ने अपना बाजार नाम की एक किराना दुकान में नौकरी की। जहां उन्हें महीने के 60 रुपए मिला करते थे। मनोरंजन करने के लिए एक लोकल बैंड का हिस्सा बन गए, यहीं उन्हें स्टेज शो से जुड़ने का मौका मिला। दादा इतने नर्म स्वभाव के थे कि कामयाबी मिलने के सालों बाद भी बैंड के लोगों से मिलने जाया करते थे। मराठी स्टार को घर में देख कर बैंड वाले इस सोच में पड़ जाते थे कि आखिर उन्हें कैसे साफ जगह में बिठाकर खातिर की जाए, लेकिन दादा उन्हें समझाते कि मैं आज भी वही आदमी हूं जो तुम्हारे साथ पहले था।

प्ले करते हुए दादा कोंडके को महाराष्ट्र के कई इलाकों में जाने का मौका मिला, जहां उन्होंने दर्शकों की मनोरंजन से जुड़ी डिमांड को बखूबी समझा। कोंडके सेवा दल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हिस्सा थे, जहां उन्होंने ड्रामा में काम किया। यहां उनकी मराठी स्टेज पर्सनालिटी से जान-पहचान बढ़ी और मदद से कोंडके ने अपनी थिएटर कंपनी शुरू कर दी।

अपने प्ले में इंदिरा गांधी का खुल कर मजाक बनाया

इस ड्रामा को कांग्रेस विरोधी बताया गया, जिसमें इंदिया गांधी का भी खूब मजाक उड़ाया गया। जहां एक तरफ ड्रामा पसंद किया गया, वहीं कांग्रेस विरोधी पार्टियों ने दादा कोंडके का जमकर सपोर्ट किया। 1975 में हैदराबाद में इसका आखिरी प्ले हुआ, इसके ठीक बाद इमरजेंसी लागू हो गई।

आशा भोसले ने करवाई फिल्ममेकर से दोस्ती और हीरो बन गए

उस जमाने की पॉपुलर सिंगर आशा भोसले इनकी बड़ी प्रशंसक थीं। वो मुंबई में होने वाला ‘विच्छा माझी पूरी करा’ का हर शो देखने जाती थीं। उन्हीं ने दादा कोंडके के अभिनय से खुश होकर उनकी मुलाकात मराठी फिल्ममेकर भालजी पेढ़ाकर से करवाई।

भालजी पेढ़ाकर ने दादा कोंडके को फिल्म ‘तंब्डी माती’ से 1969 में मराठी फिल्मों में आने का मौका मिला। पहली ही फिल्म को बेस्ट मराठी फीचर फिल्म का नेशनल अवॉर्ड मिला। 1971 में दादा ने ‘सोंगड्या’ फिल्म प्रोड्यूस की, जिसमें उन्होंने खुद लीड रोल निभाया।

सेंसर बोर्ड भी परेशान था दादा की फिल्मों से

दादा कोंडके की फिल्मों के टाइटल और डायलॉग डबल मीनिंग हुआ करते थे। जहां कुछ लोग इसे दिल खोलकर अपनाते थे, वहीं एक तबका ऐसा था जिसे ये डायलॉग भद्दे लगते थे। सेंसर बोर्ड ने भी कई बार फिल्मों पर आपत्ति जताई, लेकिन कोई दादा के खिलाफ आवाज नहीं उठा सका। उनके पास अपनी हर फिल्म के टाइटल और डायलॉग को लेकर कुछ जवाब होता था, जिसके आगे सेंसर बोर्ड को भी झुकना पड़ता था।

बॉलीवुड में नहीं चले तो शुरू किया मराठी फिल्मों को हिंदी में बनाने का ट्रेंड

मराठी सिनेमा में पॉपुलर होने के बाद दादा कोंडके ‘तेरे मेरे बीच में’, ‘अंधेरी रात में दीया तेरे हाथ में’, ‘आगे की सोच’ और ‘ले चल अपने साथ’ जैसी हिंदी फिल्मों में भी नजर आए। इनमें से अंधेरी रात में दीया तेरे हाथ में फिल्म काफी चर्चा में रही। वजह थी फिल्म का डबल मीनिंग टाइटल और सेक्स कॉमेडी वाले डायलॉग्स। फिल्मों को मास ऑडियंस तक पहुंचाने और फनी बनाने के लिए इन्हें फिल्मों में तो लिया जाता था, लेकिन इन्हें B या C ग्रेड एक्टर का दर्जा दिया जाता था। इस बात से नाराज होकर कोंडके ने मराठी फिल्मों को हिंदी में बनाने का ट्रेंड शुरू किया।

धर्मेंद्र, जितेंद्र, अमिताभ बच्चन जैसे बड़े कलाकार भी दादा कोंडके के काम की सराहना कर चुके हैं। रेखा इनकी फिल्म ‘भिंगरी’ के गाने ‘कुठे जायचे हनीमून’ में लावणी करती दिख चुकी हैं। इनकी कई फिल्मों में आशा भोसले ने आवाज दी है।

जब देव आनंद का स्टारडम पड़ गया दादा के सामने फीका

1971 में ‘सोंगड्या’ फिल्म का क्लैश उस जमाने के सुपरस्टार देव आनंद की फिल्म ‘तीन देवियां’ से हुआ। दादर के कोहिनूर थिएटर के मालिक ने देव आनंद की फिल्म लगाने का फैसला किया, लेकिन दादा 4 हफ्ते पहले ही थिएटर बुक कर चुके थे। थिएटर मालिक के अड़ियल मिजाज से परेशान होकर दादा कोंडके ने शिवसेना फाउंडर बालासाहेब ठाकरे से मदद मांगी।

बाल ठाकरे ने खुद थिएटर के बाहर छोटा सा मंच बनवाया और भाषण में थिएटर मालिकों से कहा, क्या फिल्में हिंदी में ही होती हैं। महाराष्ट्र में मराठी फिल्म ना दिखाकर आप यहां के लोगों से अन्याय कर रहे हैं। आपने फिल्म को जगह नहीं दी, अब हम इस फिल्म को इसी थिएटर में लगाएंगे। फिल्म लगाने का अधिकार हम आपसे छीनते हैं। अगर फिल्म नहीं लगी तो ये टॉकीज, टॉकीज नहीं रहेगी और आपको इसका हर्जाना भुगतना पड़ेगा।

रैलियों में भीड़ जुटाने का काम करते थे कोंडके

फिल्मों के अलावा दादा कोंडके शिवसेना के साथ राजनीति में उतरे। दादा कोंडके की फैन फॉलोइंग अच्छी थी और गरीब तबके के लोग भी उन्हें खूब सराहते थे। दादा कोंडके शिवसेना की रैलियों में भीड़ बढ़ाने का काम करने लगे। रैलियों में अपनी फनी स्पीच से कोंडके दर्शकों का दिल जीत लिया करते थे।

मैं महाराष्ट्र का CM बनना चाहता हूं- कोंडके

राजनीति में रहते हुए दादा की बाल ठाकरे से गहरी दोस्ती थी। जब 80 के दशक में शिवसेना दोबारा सरकार बनाने वाली थी तो दादा को उम्मीद थी कि ठाकरे उन्हें विधायक की टिकट देंगे, लेकिन उनके हाथ निराशा लगी। एक इंटरव्यू में उन्होंने खुद महाराष्ट्र के CM बनने की इच्छा जाहिर की थी।

बेटी को नाम देने से कर दिया था साफ इनकार

दादा कोंडके ने नलिनी नाम की महिला से शादी की थी, जिससे कुछ सालों में ही उन्होंने तलाक ले लिया। नलिनी ने दावा किया था कि उनके और दादा के बीच कभी शारीरिक संबंध नहीं बने और दोनों ने 1967 से मुलाकात नहीं की। साल 1969 में नलिनी ने बेटी तेजस्विनी को जन्म दिया, जिसे दादा कोंडके ने अपनाने से इनकार कर दिया।

चकाचौंध में रहने वाले दादा कोंडके का तन्हाई में गुजरा आखिरी वक्त

दादा के परिवार में सिर्फ उनकी बहन ही थीं, जिनके पुणे से आते ही उनका अंतिम संस्कार किया गया। दादा हमेशा से ही भीड़ से घिरे रहना पसंद करते थे। इन्हें लोगों से बात करना इतना पसंद था कि वो लोगों पर सिर्फ इसलिए खर्चा करते थे, जिससे उन्हें कोई बात करने वाला मिल सके। दादा कोंडके का आखिरी समय उनके दादर स्थित लग्जरी पेंटहाउस में गुजरा।

ज्योतिषी ने की थी फेल होने की भविष्यवाणी

दादा कोंडके ने खुद इंटरव्यू में खुलासा किया था कि जन्म के समय उनकी कुंडली देखने वाले ज्योतिषी ने कहा था कि उन्हें ताउम्र विफलता ही मिलेगी, लेकिन दादा ने अपने टैलेंट से हर मोड़ पर कामयाबी का लुत्फ उठाया।

(रेडिफ)

खबरें और भी हैं...

Adblock test (Why?)


अश्लील टाइटल भी सेंसर से पास करा लेते थे दादा: बेटी को कभी अपना नाम नहीं दिया, एक ही एक्ट्रेस के साथ 13 फिल... - Dainik Bhaskar
Read More

No comments:

Post a Comment

Bigg Boss 16: फिनाले से पहले 50 प्रतिशत वोट से आगे चल रहे हैं एमसी स्टेन, प्रियंका का हाल देख लगेगा झटका - Bollywood Life हिंदी

[unable to retrieve full-text content] Bigg Boss 16: फिनाले से पहले 50 प्रतिशत वोट से आगे चल रहे हैं एमसी स्टेन, प्रियंका का हाल देख लगेगा...