साल 2011 में फ्लॉप फिल्मों की हैट्रिक लगाने के बाद अभिनेता अक्षय कुमार ने बीते 10 साल में अपने करियर को बेहद खूबसूरती से संवारा है। उनकी ढलती उम्र का चढ़ता जादू ये रहा है कि बीते 10 साल में रिलीज हुईं उनकी 30 फिल्मों में से 22 फिल्में ऐसी रही हैं जिन्होंने बॉक्स ऑफिस पर अपनी लागत वसूलने में कामयाबी पाई या फिर लागत से दूनी या तीन गुनी कमाई की। अक्षय की दो फिल्मों ‘लक्ष्मी’ और ‘अतरंगी रे’ को सिनेमाघरों तक पहुंचाने के खरीदार न मिलने और बीते हफ्ते रिलीज फिल्म ‘बच्चन पांडे’ के पहले वीकएंड में ही हांफ जाने से हिंदी सिनेमा में अक्षय कुमार की ब्रांड वैल्यू को तगड़ा झटका लगा है। 54 साल के हो चुके अक्षय कुमार के लिए साल 2022 काफी अहम माना जा रहा है। उनकी तीन और फिल्में ‘पृथ्वीराज’, ‘रक्षा बंधन’ और ‘रामसेतु’ इस साल रिलीज होने वाली हैं।
‘बच्चन पांडे’ की खराब ओपनिंग
फिल्म ‘बच्चन पांडे’ की पहले वीकएंड की ओपनिंग अक्षय कुमार के करियर की बीते सात साल की दूसरी सबसे खराब वीकएंड ओपनिंग रही है। इससे पहले साल 2015 में रिलीज फिल्म ‘हे बेबी’ ने पहले वीकएंड में सिर्फ 36.07 करोड़ रुपये कमाए थे, देश में सिनेमाघर सौ फीसदी क्षमता से खुलने के बाद अब फिल्म ‘बच्चन पांडे’ ने पहले वीकएंड में सिर्फ 37.25 करोड़ रुपये कमाए हैं। सिनेमाघरों में रिलीज हुई उनकी बीते साल की दो फिल्मों में से ‘सूर्यवंशी’ सुपरहिट रही, जबकि फिल्म ‘बेलबॉटम’ को कोरोना संक्रमण काल के चलते खासा नुकसान उठाना पड़ा। ये फिल्म चूंकि सीमित क्षमता के साथ रिलीज हुई थी लिहाजा हिट और फ्लॉप की गणना से इसे बाहर रखा गया है।
यूं मिला हिट मशीन का दर्जा
अक्षय कुमार को बॉक्स ऑफिस की हिट मशीन का दर्जा हाल के कुछ बरसों में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में मिला है। 75 से सौ करोड़ की उनकी फीस और इतने की ही फिल्म की बाकी की पूरी मेकिंग मिलाकर निर्माता डेढ़ सौ से 200 करोड़ रुपये के बजट में उनके साथ फिल्में बनाते हैं। फिल्म की दो तिहाई रकम इसके सैटेलाइट राइट्स, ओटीटी राइट्स और म्यूजिक राइट्स से निकालने की कोशिश रहती है औऱ बाकी की एक तिहाई रकम से बॉक्स ऑफिस का दांव खेला जाता है। यहां ये समझने वाली बात है कि बॉक्स ऑफिस पर होने वाली नेट कमाई का 35 से 40 फीसदी हिस्सा ही वापस निर्माता के पास तक पहुंचता है यानी कि फिल्म को अपनी इस बाकी बची एक तिहाई रकम को निकालने के लिए इससे कम से कम तीन गुना रकम बॉक्स ऑफिस पर औसत फिल्म का दर्जा पाने के लिए कमानी होती है। फिल्म उससे ज्यादा कमाई करे तो ही इसे हिट या सुपरहिट का दर्जा मिलता है।
‘केसरी’ और ‘मिशन मंगल’ के ‘भारत कुमार’
और, कोरोना संक्रमण काल के ठीक पहले वाले साल यानी साल 2019 में अक्षय कुमार ने ‘केसरी’ और ‘मिशन मंगल’ जैसी दो कामयाब फिल्मों से अपना नए ‘भारत कुमार’ का तमगा और पक्का कर लिया। हिंदी सिनेमा में ‘भारत कुमार’ के नाम से अब तक मनोज कुमार को ही जाना गया है। अक्षय कुमार लगातार देशप्रेम व देशहित से जुड़ी फिल्में करके खुद को सच्चा भारतीय बताने का प्रयास करते रहे हैं। इस साल उनकी दो और फिल्मों ‘गुड न्यूज़’ व ‘हाउसफुल 4’ ने भी बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कारोबार किया।
‘पैडमैन’ बनकर जीता सरकार का दिल
अक्षय ने ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ वाला अपना रूप साल 2018 में भी जारी रखा। इस साल उन्होंने महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए बेहद महत्वपूर्ण फिल्म की, ‘पैडमैन’। फिल्म को हालांकि बॉक्स ऑफिस पर औसत सफलता ही मिली लेकिन इसके निर्माताओं के जरिये वह बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के करीब पहुंचने में सफल रहे। इस साल उनकी दो और फिल्में ‘गोल्ड’ व ‘2.0’ भी रिलीज हुईं। इन फिल्मों ने भी बॉक्स ऑफिस पर ठीक ठाक कारोबार किया।
Adblock test (Why?)
Bachchhan Paandey Weekend 1: ‘बच्चन पांडे’ से अक्षय की ब्रांडिंग को लगा जोर का झटका, सात साल की दूसरी सबसे खराब ओपनिंग - अमर उजाला - Amar Ujala
Read More
No comments:
Post a Comment